मैं वारी जाऊं रे,
बलिहारी जाऊं रे,
म्हारे सतगुरु आंगण आया,
मैं वारी जाऊं रे,
म्हारा दाता आंगण आया,
मैं वारी जाऊं रे।।
म्हारा सतगुरु आंगण आया,
मैं गंगा गोमती नहाया,
रे मारी निर्मल हो गयी काया,
मै वारी जाऊं रे,
म्हारा दाता आंगण आया,
मैं वारी जाऊं रे।।
म्हारा सतगुरु दर्शन दीन्हा,
म्हारा भाग उदय कर दीन्हा,
मेरा भरम वरम सब छीना,
मै वारी जाऊं रे,
म्हारा दाता आंगण आया,
मैं वारी जाऊं रे।।
सब सखी मिलकर आओ,
केसर रा तिलक लगावो,
गुरुदेव ने बधाओं,
मै वारी जाऊं रे,
म्हारा दाता आंगण आया,
मैं वारी जाऊं रे।।
म्हारी सत्संगी बन गयी भारी,
थे गाओ मंगला चारी,
मेरी खुली ह्रदय की ताली,
मै वारी जाऊं रे,
म्हारा दाता आंगण आया,
मैं वारी जाऊं रे।।
दास नारायण जस गावे,
चरणों में सीस नवायों,
मेरा सतगुरु पार उतारे,
मै वारी जाऊं रे,
म्हारा दाता आंगण आया,
मैं वारी जाऊं रे।।
मैं वारी जाऊं रे,
बलिहारी जाऊं रे,
म्हारे सतगुरु आंगण आया,
मैं वारी जाऊं रे,
म्हारा दाता आंगण आया,
मैं वारी जाऊं रे।।
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प्रेषक – अशोक माली,
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jai satguru
Good
शानदार भजन
वारी जाऊं रे गुलाब
Kabir gayak