उस घर के हर दरवाजे पर,
खुशियाँ पहरा देती है,
जिस घर में बाबोसा की,
दिव्य ज्योती जलती है।।
उस घर की चौखट पर,
जय बाबोसा लिखा होगा,
कही पे बाबोसा का मुकुट,
कहि पे घोटा रखा होगा,
उस घर से हर अला बला,
कोसो दूर रहती है,
जिस घर मे बाबोसा की,
दिव्य ज्योती जलती है।।
शुभ लाभ हर कोने में,
संग रिद्धि सिद्धि रहती है,
ये स्वर्ग से सुन्दर घर वो,
जहाँ प्रेम की गंगा बहती है,
संस्कारो की पूंजी,
उस घर मे जमा रहती है,
जिस घर मे बाबोसा की,
दिव्य ज्योती जलती है।।
बाबोसा की आज्ञा पाकर,
उस घर बाईसा आते है,
बाईसा के चरणो में,
सब नित नित शीश झुकाते है,
‘दिलबर’ ऐसी भक्ति तो,
किस्मतवाले को मिलती है,
जिस घर मे बाबोसा की,
दिव्य ज्योती जलती है।।
उस घर के हर दरवाजे पर,
खुशियाँ पहरा देती है,
जिस घर में बाबोसा की,
दिव्य ज्योती जलती है।।
गायक – श्री हर्ष व्यास मुम्बई।
रचनाकार – दिलीप सिंह सिसोदिया ‘दिलबर’।
नागदा जक्शन, म.प्र. 9907023365
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