तू वरदानी हे गंगे,
तू कल्याणी हे गंगे।bd।
– माँ गंगा के अन्य भजन भी देखें –
१. मानो तो मैं गंगा माँ हूँ।
२. गंगा मैया में जब तक ये पानी रहे।
३. राम तेरी गंगा मैली हो गई।
४. गंगा तेरा पानी अमृत।
बालकपन में जल पी तेरा,
मूरख संग से दूर गया,
विषय भोग के दुःख में पड़कर,
सच्चे सुख को भूल गया,
माँ अब तो बेचैन भटकता,
तेरी शीतल गोद में आया,
बहुत दिनों से निंद्रालु था,
तट पर सोकर मैं सुख पाया,
तु वरदानी हे गँगे,
तु कल्याणी हे गँगे।bd।
माँ गंगे मैं जन्म मरण के,
शेषनाग से डसा गया हूँ,
मंत्र औषधि अमृत देवता,
गारुत्मत से ठगा गया हूँ,
कालिया नाग के वैरी गोविन्द,
उनके पग भी तुने पखारे,
मेरे भव के विपुल ताप को,
दूर करो मैं तब पग धारे,
तु वरदानी हे गँगे,
तु कल्याणी हे गँगे।bd।
भोले का धन धान्य यही है,
भूत वृषभ इन्दु वाघम्बर,
ये सब चौपड़ द्युत चढ़ाकर,
जीती गौरी हारे शंकर,
मृदुल हंसी से हंसकर गौरी,
तब गंगा को देख रही है,
पावन कर दे चंचल लहरें,
जो शिव सिर पर नाच रही है,
तु वरदानी हे गँगे,
तु कल्याणी हे गँगे।bd।
कामारी के जटाजूट को,
भूषित करती माता गंगा,
जन्म जन्म के मानव दुःख को,
दूर हटाती तरल तरंगा,
ऊँची सुन्दर चंचल लहरें,
जो माता की शोभा पावे,
वे लहरें मेरे अंगों को,
निर्मल करके शांत बनावे,
तु वरदानी हे गँगे,
तु कल्याणी हे गँगे।bd।
तू वरदानी हे गंगे,
तू कल्याणी हे गंगे।bd।
Singer – Anuradha Ji Paudwal