मरना है तो एक बार मरो फिर चौरासी में पड़ना क्या लिरिक्स

मरना है तो एक बार मरो फिर चौरासी में पड़ना क्या लिरिक्स
धीरज कांत भजनफिल्मी तर्ज भजनविविध भजन

मरना है तो एक बार मरो,
फिर चौरासी में पड़ना क्या,
हर बार का मरना मरना क्या,
हर बार का मरना मरना क्या।।

तर्ज – जब प्यार किया तो डरना।



करके भजन मन निर्मल करलो,

ध्यान प्रभु का हर पल करलो,
भीतर के जब मेल ना धोए,
भीतर के जब मेल ना धोए,
बाहर रूप संवरना क्या,
हर बार का मरना मरना क्या,
हर बार का मरना मरना क्या।।



भला बुरा का ज्ञान रहेगा,

परमेश्वर फिर साथ रहेगा,
जब रघुनाथ का हाथ हो सर पे,
जब रघुनाथ का हाथ हो सर पे,
फिर है किसी से डरना क्या,
हर बार का मरना मरना क्या,
हर बार का मरना मरना क्या।।



कटु वचन भी सहना पड़ेगा,

राह कठिन है चलना पड़ेगा,
श्याम प्रेम में पागल हुआ तो,
श्याम प्रेम में पागल हुआ तो,
फिर पापों से डरना क्या,
हर बार का मरना मरना क्या,
हर बार का मरना मरना क्या।।



नेक कर्म बिन जनम बिताना,

उसका भी जीना है क्या जीना,
भक्ति के मोती चुन ना सके ‘फणि’,
भक्ति के मोती चुन ना सके ‘फणि’,
ख़ाक से झोली भरना क्या,
Bhajan Diary Lyrics,
हर बार का मरना मरना क्या,
हर बार का मरना मरना क्या।।



मरना है तो एक बार मरो,

फिर चौरासी में पड़ना क्या,
हर बार का मरना मरना क्या,
हर बार का मरना मरना क्या।।

स्वर – धीरज कान्त जी।


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