जगत में स्वारथ का व्यवहार देसी भजन लिरिक्स

जगत में स्वारथ का व्यवहार,
स्वारथ का ब्यौहार जगत में,
स्वारथ का ब्यौहार,
जगत में स्वारथ का ब्यौहार,
जगत में स्वारथ का ब्यौहार।।



पूत कमाई कर धन ल्यावे,

माता कर रही प्यार,
पूत कमाई कर धन ल्यावे,
माता कर रही प्यार,
पिता कहे ये पूत सपूता,
अकलमंद होशियार,
जगत में स्वारथ का व्यवहार,
जगत में स्वारथ का ब्यौहार।।



नारी सुंदर वस्त्र आभूषण,

मांगे बारम्बार,
नारी सुंदर वस्त्र आभूषण,
मांगे बारम्बार,
जो लाकर उसको नही देवे,
जो लेकर उसको नही देवे,
मुखड़ा लेत बिगाड़,
जगत में स्वारथ का ब्यौहार,
जगत में स्वारथ का ब्यौहार।।



पुत्र भये नारिन के बस में,

नित्य करे तकरार,
पुत्र भये नारिन के बस में,
नित्य करे तकरार,
आप ही अपना माल बटाकर,
होते न्यारो नार,
जगत में स्वारथ का ब्यौहार,
जगत में स्वारथ का ब्यौहार।।



भाई बंधु कुटम कबीला,

सब मतलब के यार,
भाई बंधु कुटम कबीला,
सब मतलब के यार,
ब्रह्मनंद छोड़कर ममता,
सुमरो सरजन हार,
जगत में स्वारथ का ब्यौहार,
जगत में स्वारथ का ब्यौहार।।



राम न सिर पर राखो र,

राम न सिर पर राखो र,
थोड़ी सी जिंदगानी,
अकरम मत ना भाको र,
राम न सिर पर राखो र।।



रामा गरभवास म कोल कियो,

सो भूल गयो छ भाया,
रामा गरभवास म कोल कियो,
सो भूल गयो छ भाया,
बाहर आ पड़्यो पृथ्वी पर,
लिपट गयी थार माया,
राम न सिर पर राखो र।।



रामा मात पिता थान शिक्षा देवे,

बा तो लाग थान खारी,
जवानी का जोश म थारी,
अकल गयी छ मारी,
प्रभुजी न सिर पर राखो र,
थोड़ी सी जिंदगानी अकरम,
मत ना भाको र,
राम न सिर पर राखो र।।



रामा यो संसार समुंदर भारी,

भरयो नीर अपार,
कहत कबीर सुनो भाई साधु,
हर भज उतरो पार,
प्रभुजी न सिर पर राखो र,
थोड़ी सी जिंदगानी अकरम,
मत ना भाको र,
राम न सिर पर राखो र।।



कुसंग रो लांछन लाग र,

कुसंग रो लांछन लाग र,
कुमारग मत जाय,
कुसंग रो लांछन लाग र,
रामा गाया महलो बाछड़ो,
खेत परायो खाय,
गल बन्धयो डिंगरो र,
गोडा फुट घर आय,
कुसंग रो लांछन लाग र।।



रामा हल्दी जरदी ना तजे,

खट रस तजे ना आम,
सिलवंत ओ गण तजे र,
गुण न तजे गुलाम,
कुसंग रो लांछन लाग र।।



रामा आम फल नीचो,

नव र इरण्ड आकाशा जाय,
नुगरा मानस छेड़ता र,
पत सुग राखी जाय,
कुसंग रो लांछन लाग र।।



रामा बोदी बाड़ फिङास की,

अनछेड़ी खिड़ जाय,
क्या कायर की दोस्ती र,
भीड़ पड़या भग जाय,
कुसंग रो लांछन लाग रे,
कुंसंग रो लांछन लाग रे।।

गायक – श्री अमरचन्द सोनी।
प्रेषक – विशाल सोनी
9928125586


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