जब कोई चूरू नगर आये,
दर्शन बाबोसा के पाये,
फिर कहता है नाथ मेरा,
है बाबोसा,
न कोई है न कोई था,
जिन्दगी में तुम्हारे सिवा,
तुम पकड़ो हाथ मेरा,
ओ बाबोसा,
तुम देना साथ मेरा,
ओ बाबोसा।।
तर्ज – जब कोई बात बिगड़ जाये।
जिस पर हो तेरा हाथ,
बनती है हर बिगड़ी बात,
तूम अगर साथ हो तो,
मिले खुशियों की सौगात,
न कोई है न कोई था,
जिन्दगी में तुम्हारे सिवा,
तुम पकड़ो हाथ मेरा,
ओ बाबोसा,
तुम देना साथ मेरा,
ओ बाबोसा।।
दरबार तेरा जो मिला,
मेरे मन का बाग खिला,
न शिकवा न शिकायत,
न तुमसे कोई गिला,
न कोई है न कोई था,
जिन्दगी में तुम्हारे सिवा,
तुम पकड़ो हाथ मेरा,
ओ बाबोसा,
तुम देना साथ मेरा,
ओ बाबोसा।।
तेरे दर की चाकरी पाऊँ,
तेरी सेवा में लग जाऊँ,
तेरी चोखट पर बाबा,
सारी उम्र में अपनी बिताऊँ,
न कोई है न कोई था,
जिन्दगी में तुम्हारे सिवा,
तुम पकड़ो हाथ मेरा,
ओ बाबोसा,
तुम देना साथ मेरा,
ओ बाबोसा।।
जब कोई चूरू नगर आये,
दर्शन बाबोसा के पाये,
फिर कहता है नाथ मेरा,
है बाबोसा,
न कोई है न कोई था,
जिन्दगी में तुम्हारे सिवा,
तुम पकड़ो हाथ मेरा,
ओ बाबोसा,
तुम देना साथ मेरा,
ओ बाबोसा।।
गायक – सुरेश सेंनी (चूरू धाम)
रचनाकार – दिलीप सिंह सिसोदिया ‘दिलबर’।
नागदा जक्शन म.प्र. 9907023365
प्रेषक – परम् बाबोसा भक्त श्री अजय जी गोलछा हैदराबाद।