पन्ना कालीवा अंधियारी माँझल रात पन्नाधाय की मार्मिक कविता
पन्ना कालीवा अंधियारी माँझल रात, अंधियारी आधी रात, नन्हा सो ऊंधियो साथ, चितोड दुर्ग सु एकली चली, कुम्भलगढ़ सु चाल...
Read moreDetailsपन्ना कालीवा अंधियारी माँझल रात, अंधियारी आधी रात, नन्हा सो ऊंधियो साथ, चितोड दुर्ग सु एकली चली, कुम्भलगढ़ सु चाल...
Read moreDetailsकानूड़ो नी जाणे म्हारी प्रीत, मैं तो बाल कंवारी रे, मैं तो एकल कंवारी रे, साँवरियो नी जाणे म्हारी प्रीत।।...
Read moreDetailsम्हारा सांवरिया गोकुल की, गुजरिया लड़वा लागि रे, गोकुल की गुजरिया, लड़वा लागि रे, मारा सांवरिया गोकुल की, गुजरिया लड़वा...
Read moreDetailsमन मारा थारे कई विधि समझाऊं, मनवा थारा मते चलूँ तो, सीधा नरक लई जावे, मन म्हारा थारे कई विधि...
Read moreDetailsघर में रागी घर में वैरागी, घर घर गावन वाला ओ, कलयुग री आ छाया पड़ी है कुन नुगरोने वर्जन...
Read moreDetailsलीनो ताँबा रो बेड़ो हाथ मीराबाई, दोहा - लकड़ी जली कोयला भई, ने कोयला जल भई राख, मैं विरहन ऐसी...
Read moreDetailsनाभि रे कमल नेजा रोपिया हो, राज सूरता ऊँची रे चढे। दोहा - गुरु बीन्जारा ग्यान का, और लाया वस्तु...
Read moreDetailsकरमा का लिखिया आंकडा, वाने कोई मिटा नहीं पावें, कोई मिटा नहीं पावें रे दादा भई, कोई मिटा नहीं पावे,...
Read moreDetailsपीरजी पधारो सतगुरु देव, कर जोडा थाने अर्ज करा। सिरेमंदिर गढ बैसनो, अलख समाधिया रे मास, मेरे शान्तिनाथजी, पुरे सब...
Read moreDetailsम्हारा बाबा हनुमान, म्हारा दाता हनुमान, ऐसो वर तो म्हाने दीजो, धरूँ तुम्हारो ध्यान।। बाजरे की रोटी दीजो, ऊपर लुन्यो...
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