जब तक है प्राण तन में,
छूटे ना वृंदावन धाम,
जय राधे श्याम,
जय श्यामा श्याम,
जय ब्रजधाम।bd।
तर्ज – जब तक सांसे चलेगी।
गाता रहूं मैं तेरे नाम को,
आता रहूं मैं तेरे धाम को,
जबतक हैं प्राण तन में,
छूटे ना वृंदावन धाम,
जय राधे श्याम,
जय श्यामा श्याम,
जय ब्रजधाम।bd।
दर्शन की लागी है ऐसी लगन,
व्याकुल हुआ मेरा तन और मन,
मैं अधूरा दरस के बिना,
जैसे दिल के बिना धड़कन,
जबतक हैं प्राण तन में,
छूटे ना वृंदावन धाम,
जय राधे श्याम,
जय श्यामा श्याम,
जय ब्रजधाम।bd।
वृंदावन के है बांके बिहारी,
जिनकी महिमा है जग से न्यारी,
जो भी आए शरण में तिहारी,
उसकी की बिगड़ी बात संभारी,
जबतक हैं प्राण तन में,
छूटे ना वृंदावन धाम,
जय राधे श्याम,
जय श्यामा श्याम,
जय ब्रजधाम।bd।
श्री जी तिहारी दरस को मैं,
आया हूं राधे बड़ी दूर से,
कर दो कृपा अब प्रिया लाडली,
बैठा हूं दर पे बहुत देर से,
कर दो कृपा श्री राधे,
तुम हो कृपा की धाम,
जय राधे श्याम,
जय श्यामा श्याम,
जय ब्रजधाम।bd।
जब तक है प्राण तन में,
छूटे ना वृंदावन धाम,
जय राधे श्याम,
जय श्यामा श्याम,
जय ब्रजधाम।bd।
स्वर – श्री धन्वन्तरिदास जी महाराज।








