मनै तेरा दरबार सजाया री,
तेरे नाम का आसन लाया री,
मेरे घर भी आजा मां,
तेरा बेटा बुलाने आया री।।
तर्ज – मनै कई बार अलख जगाई री।
देशी घी की ज्योत जगाकै,
मेरा बैठया स परिवार री मां,
तेरे आण का घणा भरोसा,
तू मत करिए इनकार री मां,
जिसनै भी ध्यान तेरा लाया री,
तनै कर दिया भाग सवाया री,
मेरे घर भी आजा मां,
तेरा बेटा बुलाने आया री।।
ना चाहूं मैं धन दौलत बस,
चाहूं सु तेरा प्यार री मां,
तू ममता की मूरत स,
यू कहता सारा संसार री मां,
जो चलकै शरण तेरी आया री,
तनै करी ममता की छाया री,
मेरे घर भी आजा मां,
तेरा बेटा बुलाने आया री।।
नवरात्रों में हे मेरी मैया,
घर-घर जगती ज्योत तेरी,
मेरे घर में आवण की मां,
क्यूं करदी इतनी देरी,
तेरा सारा भोग मंगाया री,
यू भर-भर थाल सजाया री,
मेरे घर भी आजा मां,
तेरा बेटा बुलाने आया री।।
गुरु राजेन्द्र शर्मा भी मां,
आश लगावै घड़ी-घड़ी,
जल्दी घर के अन्दर आजा,
के देखें मां बाहर खड़ी-खड़ी,
यू सुनील कुमार भी आया री,
तेरे दर पे कीर्तन गाया री,
मेरे घर भी आजा मां,
तेरा बेटा बुलाने आया री।।
मनै तेरा दरबार सजाया री,
तेरे नाम का आसन लाया री,
मेरे घर भी आजा मां,
तेरा बेटा बुलाने आया री।।
गायक & लेखक – सुनील कुमार लदानियां।
99961-23336








