दादा खेडे़ मरते दम तक,
ओट चाहूँ सूं ओट चाहूँ सूँ,
हाथ शिश प सदा राखिए,
सपोर्ट चाहूँ सूँ।।
तन भी तेरा मन भी तेरा,
तू हे स मेरी जान,
करिए एक उपकार मेरे प,
होण दिए ना बैरान,
नित ठिकाणे रहै सदा,
ना खोट चाहू सू,
हाथ शिश प सदा राखिए,
सपोर्ट चाहूँ सूँ।।
धोखेबाज मनै यार ना चाहिए,
ना चाहिए झूठा प्यार,
तेरी मस्ती का मेरे चेहरे प,
छाया रहवै निखार,
याद करै संसार इसी मे,
थोट चाहूं सूं,
हाथ शिश प सदा राखिए,
सपोर्ट चाहूँ सूँ।।
छाती के मनै लाले दादा,
कहकै एक ब लाल,
किसी रूप में आकै फेटले,
करदे आण कमाल,
करिए मेरी रूखाल घणी,
म चोट खाऊं सूं,
हाथ शिश प सदा राखिए,
सपोर्ट चाहूँ सूँ।।
अर्जी मेरी मर्जी तेरी,
कह दी दिल की बात,
कुड़लण आला गजेन्द्र स्वामी,
तेरे रूख का पात,
लक्की मांगै ध्यान तेरा,
ना नोट चाहू़ँ सूं,
हाथ शिश प सदा राखिए,
सपोर्ट चाहूँ सूँ।।
दादा खेडे़ मरते दम तक,
ओट चाहूँ सूं ओट चाहूँ सूँ,
हाथ शिश प सदा राखिए,
सपोर्ट चाहूँ सूँ।।
लेखक / प्रेषक – गजेन्द्र स्वामी कुड़लणीया।
9996800660
गायक – लक्की भारद्वाज पिचौलिया।
9034283904