ये मेरी अर्जी है मै वैसी बन जाऊँ जो तेरी मर्जी है भजन लिरिक्स

ये मेरी अर्जी है मै वैसी बन जाऊँ जो तेरी मर्जी है भजन लिरिक्स
कृष्ण भजनचित्र विचित्र भजन

ये मेरी अर्जी है,
मै वैसी बन जाऊँ,
जो तेरी मर्जी है।।

दोहा – मैंने कब कहा,
की मुझे दुनिया का माल दे,
लगी है फास दिल में निकाल दे।
मुझ गरीब का तो श्याम,
इतना सवाल है,
जो कुछ समझ में आए,
मेरी झोली में डाल दे।



लफ्जो का टोटा है,

लफ्जो का टोटा है,
जिक्र प्यारे का,
अश्को से होता है,
ये मेरी अर्जी हैं,
मै वैसी बन जाऊँ,
जो तेरी मर्जी है।।



छम छम छम बारिश है,

छम छम छम बारिश है,
माहि घर आजा,
हर बून्द सिफारिश है,
ये मेरी अर्जी हैं,
मै वैसी बन जाऊँ,
जो तेरी मर्जी है।।



वो इतना प्यारा है,

वो इतना प्यारा है,
चाँद कहे उससे,
तू चाँद हमारा है,
ये मेरी अर्जी हैं,
मै वैसी बन जाऊँ,
जो तेरी मर्जी है।।



जग रोक ना पाएगा,

जग रोक ना पाएगा,
मीरा नाचेगी,
जब श्याम बुलाएगा,
ये मेरी अर्जी हैं,
मै वैसी बन जाऊँ,
जो तेरी मर्जी है।।



मेरा माहि गबरू है,

मेरा माहि गबरू है,
उसकी खुशबु से,
खुशबु में खुशबु है,
ये मेरी अर्जी हैं,
मै वैसी बन जाऊँ,
जो तेरी मर्जी है।।



ये मेरी अर्जी है,

मै वैसी बन जाऊँ,
जो तेरी मर्जी है।।


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