तोरे ऊंचे भुवन बने मात भवानी मोर नचत है बागों में लिरिक्स

तोरे ऊंचे भुवन बने मात भवानी,
मोर नचत है बागों में।।



माँ के मंदिर पे कंचन कलश धरे,

वहां चन्दन के जड़े है किवाड़ भवानी,
मोर नचत है बागों में।।



तोरे अँगना में नोवत बाज रही,

शंख झालर बजे खड़ताल भवानी,
मोर नचत है बागों में।।



बैठी अटल सिंघासन जगदम्बे,

ओढे चुनरी माँ गोटेदार भवानी,
मोर नचत है बागों में।।



माँ के मस्तक पे बिंदिया दमक रही,

गले मोतियन की माला डार भवानी,
मोर नचत है बागों में।।



कान कुंडल में हीरा चमक रहे,

सोहे सोने के कंगन हाथ भवानी,
मोर नचत है बागों में।।



पांव पैजनिया छम छम बाज रही,

बहे चरणों से अमृत की धार भवानी,
मोर नचत है बागों में।।



ध्यान पूजन ‘पदम्’ न जानत है,

करूँ कैसे तुम्हारो सिंगार भवानी,
मोर नचत है बागों में।।



तोरे ऊंचे भुवन बने मात भवानी,

मोर नचत है बागों में।।

लेखक / प्रेषक – डालचन्द कुशवाह”पदम्”
भोपाल। 9827624524


By Shekhar Mourya

Bhajan Lover / Singer / Writer / Web Designer & Blogger.

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