पितरा की पातड़ी घड़ दे सोनी का पितृ भजन लिरिक्स

पितरा की पातड़ी घड़ दे सोनी का,
नुत जिमाऊं ऊत बुलावा,
दिया जलावां घी का।।



सोना चांदी की पातडी में,

हीरा जड द लाल,
सतरंह्यो डोरो भी ल्याजो,
ल्याजे बेगो जार,
कमी रहे ना कोई,
सुनज्ये निका निका,
पितरा की पातडी घड दे सोनी का,
नुत जिमाऊं ऊत बुलावा,
दिया जलावां घी का।।



खाती म्हारा पाटा ने,

घडदिज्यो जबरा जोर,
कमी रहे ना कोई थन,
पिसा दैउं ओर,
सवा सवा को नाप राखजये,
ध्यान लगाकर निका,
पितरा की पातडी घड दे सोनी का,
नुत जिमाऊं ऊत बुलावा,
दिया जलावां घी का।।



कपडा सीजे दर्जी का,
कमीज पेन्ट की जोडी,
कमीज की बावा लम्बी राखज्ये,
पेन्ट की मोहरी चौडी,
बटन लगा द सोना क,
म्हने दीख निका निका,
पितरा की पातडी घड दे सोनी का,
नुत जिमाऊं ऊत बुलावा,
दिया जलावां घी का।।



भगत बुलाऊं जोर का म,

स चौदस की रात,
भगत मंडल गावे थाने,
राखो म्हाकी लाज,
गावा बजावा थने बुलावा,
ढोल बजावा निका,
पितरा की पातडी घड दे सोनी का,
नुत जिमाऊं ऊत बुलावा,
दिया जलावां घी का।।



पितरा की पातड़ी घड़ दे सोनी का,

नुत जिमाऊं ऊत बुलावा,
दिया जलावां घी का।।

गायक / लेखक – भवानी सिंह गुर्जर।


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