नीच नीचता त्यागे कोनी कितना ही सत्कार करो लिरिक्स

नीच नीचता त्यागे कोनी कितना ही सत्कार करो लिरिक्स
राजस्थानी भजन

नीच नीचता त्यागे कोनी,
कितना ही सत्कार करो,
काजल नाही सफ़ेद होवे रे भाई,
नित कोशीश हजार करो।।



निचे से जड़ काटन आला,

मुख पर मीठी बात करे,
धोखा देकर गला काट दे,
दाव देखकर घात करे,
मात पिता से करे लड़ाई,
रोज खड़ा उत्पात करे,
बिना बुलाये पर घर जाकर,
मुख देखि कोई बात करे,
बयमानो से बच कर रहना,
कभी नहीं व्यावार करो,
काजल नाही सफ़ेद होवे रे भाई,
नित कोशीश हजार करो।।



अपने आप बड़ाई करके,

असली दोस छिपा लेते,
दो आने के लालच में पड़,
जूठा धर्म उठा लेते,
मतलब होव जद पेट में पड़कर,
धोका दे धन खा जाते,
बिना मतलब से मुख नहीं बोले,
अपनी नजर बचा लेते,
दे विश्वास देगा दे जाते,
कितना चाहे प्यार करो,
काजल नाही सफ़ेद होवे रे भाई,
नित कोशीश हजार करो।।



मन में रखता बेईमानी रे,

ऊपर बात सफाई की,
कपट फंद छल धोका देकर,
नाड काट दे भाई की,
बहन भानजी समझे नाही,
ना ही साख जमाई की,
मण भर दूध फाड़ सकती है,
देखो बून्द खटाई की,
बाण कुबान दुष्ट नहीं तागे,
कितना चाहे प्यार करो,
काजल नाही सफ़ेद होवे रे भाई,
नित कोशीश हजार करो।।



काग कुटरता त्यागे कोनी,

हंसा बीच बेठा देखो,
अपनी आदत छोड़े कोनी,
सोने री चोंच मडा देखो,
जेरी नाग जेहर नही तागे,
चाऐ दुध पिला देखो,
ओ काले उपर रंग दुसरा,
चढ़ता नाय चढा देखो,
हरिनारायण हरि गुण गाओ,
भव से बेड़ा पार करो,
काजल नाही सफ़ेद होवे रे भाई,
नित कोशीश हजार करो।।



नीच नीचता त्यागे कोनी,

कितना ही सत्कार करो,
काजल नाही सफ़ेद होवे रे भाई,
नित कोशीश हजार करो।।

गायक – राजू स्वामी।
प्रेषक – सुभाष सारस्वा काकड़ा।
9024909170


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