मेरे साँवरे की है बात निराली भजन लिरिक्स

मेरे साँवरे की है,
बात निराली,
की दर इनके आके,
खिली डाली डाली।bd।

तर्ज – बने चाहे दुश्मन।



वो गर्दिश के दिन,

जो बिताए तेरे बिन,
सवालों की रातें,
जवाबों के दिन,
कई साल हमने गुजारे यूँ ही,
है खाटू की माटी जबसे छुई,
थी पतझड़ मेरी,
जिंदगानी ये सारी,
की दर इनके आके,
खिली डाली डाली।bd।



वो मायरे की बेला,

वो नानी का रोना,
आया नहीं मेरा,
श्याम सलोना,
पड़ी जब कन्हैया के कानों खबर,
उठे रात्रि चल पड़े दौड़कर,
भरे भात छप्पन करोड़ मुरारी,
की दर इनके आके,
खिली डाली डाली।bd।



ये जीवन की नैया,

चलाए कन्हैया,
केवल तू ही बस,
जग का खिवैया,
‘शेरेवाला’ गुण तेरे गाता रहे,
‘अमित’ छाप दिल पे लगाता रहे,
थी बंजर जमीं अब लगी फुलवारी,
की दर इनके आके,
खिली डाली डाली।bd।



मेरे साँवरे की है,

बात निराली,
की दर इनके आके,
खिली डाली डाली।bd।

स्वर / रचना – अमित शेरेवाला।


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