बड़ी दूर से चलकर आया हूँ मेरे भोले तेरे दर्शन के लिए

बड़ी दूर से चलकर आया हूँ मेरे भोले तेरे दर्शन के लिए

बड़ी दूर से चलकर आया हूँ,
तर्ज – आवारा हवा का झोका हूँ

बड़ी दूर से चलकर आया हू,
मेरे बाबा तेरे दर्शन के लिए,
मेरे भोले तेरे दर्शन के लिए,
एक फूल गुलाब का लाया हूँ,
चरणों में तेरे रखने के लिए।।



ना रंग महल की अभिलाषा,

ना इक्छा सोने चांदी की,
ना रंग महल की अभिलाषा,
ना इक्छा सोने चांदी की,
तेरी दया की दौलत काफी है,
झोली मेरी भरने के लिए,
बड़ी दूर से चलकर आया हूँ,
मेरे बाबा तेरे दर्शन के लिए।।



ना हिरे मोती सोना है,

ना धन दौलत की थैली है,
ना हिरे मोती सोना है,
ना धन दौलत की थैली है,
दो आंसू बचाकर लाया हूँ,
पूजा तेरी करने के लिए,
बड़ी दूर से चलकर आया हू,
मेरे बाबा तेरे दर्शन के लिए।।



जब भक्त उस महांकाल के दरबार में,

उस बाबा के दर्शन करते है,
तब उनका मन एक ही बात कहता है :



मेरे बाबा मेरी इक्छा नही,

अब यहाँ से वापस जाने की,
मेरे बाबा मेरी इक्छा नही,
अब यहाँ से वापस जाने की,
चरणों में जगह दे दो थोड़ी,
मुझे जीवन भर रहने के लिए,
बड़ी दूर से चलकर आया हू,
मेरे बाबा तेरे दर्शन के लिए।।



बड़ी दूर से चलकर आया हू,

मेरे बाबा तेरे दर्शन के लिए,
मेरे भोले तेरे दर्शन के लिए,
एक फूल गुलाब का लाया हूँ,
चरणों में तेरे रखने के लिए।।

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