मैं तो गुरूवर रा गुण गाऊँ म्हारी माँ म्हारो मन लाग्यो भगती में

मैं तो गुरूवर रा गुण गाऊँ म्हारी माँ म्हारो मन लाग्यो भगती में
प्रकाश माली भजनराजस्थानी भजन

मैं तो गुरूवर रा गुण गाऊँ म्हारी माँ,

दोहा – गौ गंगा और गायत्री से,
ऊपर गुरू रो नाम,
गुरू ही मार्ग सुझावीयो,
जिन पूजे खुद राम।



मैं तो गुरूवर रा गुण गाऊँ म्हारी माँ,

म्हारो मन लाग्यो भगती में,
तो गुरूवर रा गुण गाऊँ म्हारी माँ,
म्हारो मन लाग्यो भगती में,
मै तो गुरू चरने लग जाऊँ म्हारी माँ,
म्हारो तन जाग्यो भगती में,
मै तो गुरू चरने लग जाऊँ म्हारी माँ,
म्हारो तन जाग्यो भगती में।।



लक्ष्मी कृष्ण रा अंश है गुरूवर,

शिवरात्रि गुरू जन्मीया जी,
लक्ष्मी कृष्ण रा अंश है गुरूवर,
शिवरात्रि गुरू जन्मीया जी,
ऋग्वेद स्मारथ कुल मे,
वासुदेव पलपीया जी,
ऋग्वेद स्मारथ कुल मे,
वासुदेव पलपीया जी,
धन धन नाम कियो जरणी रो,
भरपूर नाम कमायो जी,
वेद पुराण रा गण जानता,
आत्म तत्व सुख पायो जी,
म्हारो मन लाग्यो भगती मे,
मै तो गुरूवर रा गुण गाऊँ म्हारी माँ,
म्हारो मन लाग्यो भगती मे,
मै तो गुरू चरने लग जाऊँ म्हारी माँ,
म्हारो तन जाग्यो भगती मे।।



राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ शाखा,

सु बुद्धि पल पानी जी,
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ शाखा,
सु बुद्धि पल पानी जी,
परम पूज्य गुरूवर जी रे मुख सु,
राष्ट्रीय धर्म गती जानी जी,
परम पूज्य गुरूवर जी रे मुख सु,
राष्ट्रीय धर्म गती जानी जी,
छोड़ असार संसार जगत ने,
राग फकिरी गायी जी,
राष्ट्रीय भक्ति और जीवन जुन हित,
इतरी दिक्षा पायी जी,
म्हारो मन लाग्यो भगती मे,
मै तो गुरूवर रा गुण गाऊँ म्हारी माँ,
म्हारो मन लाग्यो भगती मे,
मै तो गुरू चरने लग जाऊँ म्हारी माँ,
म्हारो तन जाग्यो भगती मे।।



गुरूवर साथे वैरी मिनखा,

इतरी चाल चली भूंडी,
गुरूवर साथे वैरी मिनखा,
इतरी चाल चली भूंडी,
पण गुरूवर मौन साधने,
भरी रही धिरप ऊंडी,
पण गुरूवर मौन साधने,
भरी रही धिरप ऊंडी,
दिया अमौज वरदान उनाने,
रिता रही घर सुख भरीया,
कहे मनावत गुरू किरपा सु,
अधम मिनख भवसु तिरीया,
म्हारो मन लाग्यो भगती मे,
मै तो गुरूवर रा गुण गाऊँ म्हारी माँ,
म्हारो मन लाग्यो भगती मे,
मै तो गुरू चरने लग जाऊँ म्हारी माँ,
म्हारो तन जाग्यो भगती मे।।



मैं तो गुरूवर रा गुण गाऊँ म्हारी माँ,

म्हारो मन लाग्यो भगती में,
तो गुरूवर रा गुण गाऊँ म्हारी माँ,
म्हारो मन लाग्यो भगती में,
मै तो गुरू चरने लग जाऊँ म्हारी माँ,
म्हारो तन जाग्यो भगती में,
मै तो गुरू चरने लग जाऊँ म्हारी माँ,
म्हारो तन जाग्यो भगती में।।

गायक – प्रकाश मालीजी & कुशल बारठ।
प्रेषक – मनीष सीरवी।
(रायपुर जिला पाली राजस्थान)
9640557818


https://youtu.be/1TkB_3gRC2E

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