फिल्मी तर्ज भजनविविध भजन

क्यों अपनो पे तू इतराए जाएगा कोई सँग ना

1 min read

क्यों अपनो पे तू इतराए,
जाएगा कोई सँग ना,
अब मान भी लो मनवा,
मान भी लो,
मान भी लो मनवा।।

तर्ज – आन मिलो सजना।



जीव जन्तू से मानव बनाया,

कर कृपा फिर नाम लखाया,
कभी सँतो के ढिग तू न आया,
मिली बस्तू को दाग लगाया, हो..
हरि नाम का रँग है सच्चा,
दूजा कोई रँग ना,
अब मान भी लो मनवा,
मान भी लो,
मान भी लो मनवा।।



यहाँ दौलत के सब है पुजारी,

बड़ी मतलब की है दुनियादारी,
आने वाली तुम्हारी है गाड़ी,
करलो चलने की अब तैयारी, हो..
समय अनोखा फिर न मिलेगा,
करले जो है करना,
अब मान भी लो मनवा,
मान भी लो,
मान भी लो मनवा।।



आए विपदा कभी तेरे सर पे,

आएगा न कोई तेरे घर से,
माँग न ले कही तू खजाने,
मुहँ छिपाएगे वो इस डर से, हो..
मुक्त किया है गुरू ने तुझको,
अब बँधन मे बँधना,
अब मान भी लो मनवा,
मान भी लो,
मान भी लो मनवा।।



क्यों अपनो पे तू इतराए,

जाएगा कोई सँग ना,
अब मान भी लो मनवा,
मान भी लो,
मान भी लो मनवा।।

– भजन लेखक एवं प्रेषक –
शिवनारायण वर्मा,
मोबा.न.8818932923
/7987402880

वीडियो अभी उपलब्ध नहीं।


 

Shekhar Mourya

Bhajan Lover / Singer / Writer / Web Designer & Blogger.

Leave a Comment