कर दिया आसन तैयार मां,
ज्योत प आओ न,
चरणों म बैठया परिवार मां,
आके दर्श दिखाओ न।।
तर्ज – शीशी भरी गुलाब की।
ज्योत जगाकै मां तेरी,
एक बैठी दुखियारी,
बांझ री कहके बोलै सै,
मनै दुनियां मां सारी,
ताने सुन-सुन हार लेई,
गोदी लाल खिलाओ न,
कर दिया आसन तैयार माँ,
ज्योत प आओ न।।
तेरे नाम के व्रत करूं,
मैं करूं कढ़ाई री,
तेरे धाम की सुन राखी,
मनै घनी बढाई री,
इस पापी संसार म,
मां मेरी धीर बधाओं न,
कर दिया आसन तैयार माँ,
ज्योत प आओ न।।
तनै रिझावण खातिर मां,
करवाया जगराता,
तरह-तरह के भोग मंगाए,
कद आवैगी माता,
दर्श दिखाकै तेरे भगतां न,
मां भोग लगाओ न,
कर दिया आसन तैयार माँ,
ज्योत प आओ न।।
गुरु राजेन्द्र तेरी सेवा म,
दिन रात गुजारे सै,
सुनील कुमार मां तेरा लाड़ला,
तनै पुकारे सै,
तेरे बेटे की सभा बीच म,
आज लाज बचाओ न,
कर दिया आसन तैयार माँ,
ज्योत प आओ न।।
कर दिया आसन तैयार मां,
ज्योत प आओ न,
चरणों म बैठया परिवार मां,
आके दर्श दिखाओ न।।
गायक & लेखक – सुनील कुमार लदानियां।
Mob. – 99961-23336








