जियो और जीने दो का यह मंत्र निराला है

जियो और जीने दो का यह मंत्र निराला है
विविध भजन

जियो और जीने दो का,
यह मंत्र निराला है,
प्राणी मात्र के जीवन में,
सुख भरने वाला है,
जियो और जीने दों।।



धधक रही है धरती,

हिंसा के अंगारों से,
रुदन करे वसुधा,
पशुओं की करुण पुकारों से,
भरे पड़े है राजमहल,
देखो हथियारों से,
हार रहे है संस्कार,
कुत्सित व्यभिचारों से,
हिंसा के अंधियारों में,
एक मात्र उजाला है,
प्राणी मात्र के जीवन में,
सुख भरने वाला है,
जियो और जीने दों।।



तुम जैसे ही हर प्राणी को,

जीवन प्यारा है,
तुम जैसे ही वह भी किसी की,
आंख का तारा है,
मूक धरा का मानवता को,
यही इशारा है,
गर प्राण न दो तो मारो न,
कर्तव्य तुम्हारा है ,
करुणा दया प्रेम ने ही यह,
जगत संभाला है,
प्राणी मात्र के जीवन में,
सुख भरने वाला है,
जियो और जीने दों।।



जियो और जीने दो का,

यह मंत्र निराला है,
प्राणी मात्र के जीवन में,
सुख भरने वाला है,
जियो और जीने दों।।

Singer – Smt. Reetika Jain
Lyrics, Compositions & Recording –
Dr. Rajeev Jain (Chandigarh)


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