चेला वही चीज लाना रे गुरु ने मंगाई भजन लिरिक्स

चेला वही चीज लाना रे,
गुरु ने मंगाई,
चेला वो ही चीज लाना रे,
गुरु ने मंगाई।।



पहली भिक्षा अन्न की लाना,

गाँव नगर के पास ना जाना,
नारी पुरुष को नही सताना,
मेरी झोली भर के लाना रे,
गुरु ने मंगाई,
चेला वो ही चीज लाना रे,
गुरु ने मंगाई।।



दूजी भीक्षा जल की लाना,

कुवे तालाब के पास ना जाना,
खारा मीठा चख कर लाना,
मेरी तुम्बी भरकर लाना रे,
गुरु ने मंगाई,
चेला वो ही चीज लाना रे,
गुरु ने मंगाई।।



तिजी भीक्षा लकड़ी लाना,

बेल वृक्ष नही काटना,
गीली सुखी देख के लाना,
मेरे भाई बाँध के लाना रे,
गुरु ने मंगाई,
चेला वो ही चीज लाना रे,
गुरु ने मंगाई।।



चौथी मांस की लाना,

जिव जंतु को नही मारना,
जिन्दा मुर्दा देख के लाना,
मेरा खप्पर भर के लाना रे,
गुरु ने मंगाई,
चेला वो ही चीज लाना रे,
गुरु ने मंगाई।।



कहे मछन्दर सुन जति गोरख,

ये पद है निर्वाणा,
इसका अर्थ करे वो ही नर,
जग में चतुर सुजाना रे,
गुरु ने मंगाई,
चेला वो ही चीज लाना रे,
गुरु ने मंगाई।।



चेला वही चीज लाना रे,

गुरु ने मंगाई,
चेला वो ही चीज लाना रे,
गुरु ने मंगाई।।

गायक – मोईनुद्दीन जी मनचला।
प्रेषक – Dalaram Parjapat
+917339774275


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