कंवर ग चालो रे भाई,
दोहा – विघ्न हरण मंगल करण,
होत बुद्धि प्रकाश,
नाम लेत श्री गणेश का,
होत विघ्न सब नाश।
प्रेम प्रतीत कपि भजै,
सदां धरु में ध्यान,
जे ही कारज सकल शुभ,
सिद्ध करो हनुमान।
सदा भवानी दाहिने,
सन्मुख रहत गणेश,
पांच देव रक्षा करे,
ब्रह्मा विष्णु महेश।
कंवर ग चालो रे भाई,
करल्यो मन न साफ,
काम थारो सिद्ध होसी भाई।।
इन्द राजा का पोता कहिजो,
थारी फूलवती है बाई,
बाशक घर अवतार लियो,
थारी नागण है माई।।
साठी गांव से चाल्या कंवर,
किकरिये धाम लगाई,
दुलो भगत थारी करे सेवना,
जुग में ज्योत समाई।।
नीलो घोड़ो नवल खो,
थारी उपर जीन मंडाई,
आप घोड़े रा हो असवारी,
जुग में ज्योत सवाई।।
दुर देशां रा आवे जातरी,
मिलगे लोग लुगाई,
बिछडयां न थे आप मिलावो,
मिलावो भैण न भाई।।
मदन मीर संदा गो भोलो,
छांवली बणाई,
सुलतान मीर गुरु वां ग शरणे,
साची सैन बताई।।
कंवर ग चालों रे भाई,
करल्यो मन न साफ,
काम थारो सिद्ध होसी भाई।।
गायक – सुरेन्द्र शर्मा चौहिल्यांवाली।
प्रेषक – समुन्द्र चेलासरी।
मो. – 8107115329








