तुम्हारी उल्फत में हम जिएंगे,
ये तय हुआ था ये तय हुआ था,
तुम्हारी छवि पे हम मर मिटेंगे,
ये तय हुआ था ये तय हुआ था।।
तर्ज – है जिंदगी कितनी खूबसूरत।
कभी ना छोड़ेंगे ध्यान तेरा,
कभी ना बदलेगा प्यार मेरा,
कभी न होकर जुदा रहेंगे,
कभी न होकर जुदा रहेंगे,
ये तय हुआ था ये तय हुआ था,
तुम्हारी उल्फत मे हम जियेंगे,
ये तय हुआ था ये तय हुआ था।।
तुम्हारे नक्शे पे हम चलेंगे,
जो तुम कहोगे सो हम करेंगे,
तुम्हारी एक एक नजर पे अपनी,
तुम्हारी एक एक नजर पे अपनी,
नजर करेंगे ये तय हुआ था,
ये तय हुआ था ये तय हुआ था,
तुम्हारी उल्फत मे हम जियेंगे,
ये तय हुआ था ये तय हुआ था।।
कभी ना औरों को दुख: देंगे,
जो बन सकेगा तो सुख देंगे,
ना हम किसी का बुरा करेंगे,
ना हम किसी का बुरा करेंगे,
ये तय हुआ था ये तय हुआ था,
तुम्हारी उल्फत मे हम जियेंगे,
ये तय हुआ था ये तय हुआ था।।
भुलाए वादे सभी है मैंने,
जो कसमें खाई कभी थी मैंने,
ना हम जगत माया में फसेंगे,
ना हम जगत माया में फसेंगे,
ये तय हुआ था ये तय हुआ था,
तुम्हारी उल्फत मे हम जियेंगे,
ये तय हुआ था ये तय हुआ था।।
तुम्हारी उल्फत में हम जिएंगे,
ये तय हुआ था ये तय हुआ था,
तुम्हारी छवि पे हम मर मिटेंगे,
ये तय हुआ था ये तय हुआ था।।
स्वर – श्री अंकुश जी महाराज।
प्रेषक – ओमप्रकाश पांचाल उज्जैन मध्य प्रदेश।
9926652202