रटले मनवा सांझ सवेरे,
सवैया – गंग तरंग प्रवाह भयो,
तब कूप को नीर पियो न पियो,
जिनके हृदय रघुनाथ बसे,
तिन और को नाम लियो न लियो।
कर्म प्रभाव सुपात्र मिले,
कुपात्र को दान दियो न दियो,
कवी गंग कहे सुन शाह अकबर,
मूरख मित्र कियो न कियो।
रटले मनवा सांझ सवेरे,
एक माला हरि नाम की,
जिस माला में राम नाम ना,
वो माला किस काम की।bd।
ये संसार कागज़ की पुड़िया,
बून्द पड़े गल जायसी,
तेरी मेरी छोड़ बावला,
तेरी मेरी छोड़ बावला,
धुन लगा हरि नाम की,
जिस माला में राम नाम ना,
वो माला किस काम की।bd।
नैन दिए हरि दर्श करण को,
कान दिए सुन ज्ञान रे,
जीभ देई हरि नाम रटन को,
जीभ देई हरि नाम रटन को,
बोलो सियावर राम की,
जिस माला में राम नाम ना,
वो माला किस काम की।bd।
गज गणिका और अजामिल,
तीर गए हरि नाम से,
ध्रुव तारे प्रहलाद उबारे,
ध्रुव तारे प्रहलाद उबारे,
हो गई कृपा भगवान की,
जिस माला में राम नाम ना,
वो माला किस काम की।bd।
राम नाम का सुमिरन करले,
भव सागर तीर जायसी,
‘अमृतनाथ’ अमर भया जोगी,
अमृतनाथ अमर भया जोगी,
धुन लगाई हरि नाम की,
जिस माला में राम नाम ना,
वो माला किस काम की।bd।
रटले मनवा साँझ सवेरे,
एक माला हरि नाम की,
जिस माला में राम नाम ना,
वो माला किस काम की।bd।
Singer – Ramesh Ji Sharma