अरे दाल माइने खांड नाक दे,
लूण नाक दे खीर में,
उल्टा सुल्टा काम करे रे,
पचे दोष देवे तकदीर ने।।
रघुवर ने धोको देवा ने,
स्वर्ण हिरन बणीयो मारीच,
अरे बेंडया बनावा आयो वो,
पंचवटी जंगल का बीच,
अरे लकणा सई काम वेई गयो,
नही दोष रघुवीर में,
उल्टा सुल्टा काम करें रे,
पचे दोष देवे तकदीर ने।।
नकली बामण बनकर आयो,
रावण करबा ने धोको,
राम लष्मन दोई नई लादा,
जद वाने मल ग्यो मोको,
भिक्षा देदो भूख लगी है,
रमता राम फकीर ने,
उल्टा सुल्टा काम करें रे,
पचे दोष देवे तकदीर ने।।
कुटिया के ऐरे मेरे,
लागी ही लक्षमण की आण,
सीता माता ध्यान ना राख्यो,
नही राखी देवर की आण,
देखो भई सीता माता ने,
रेणो छावे लकीर में,
उल्टा सुल्टा काम करें रे,
पचे दोष देवे तकदीर ने।।
नही देख्यो दुनिया मे भाया,
बाली जेसो कोई बलवान,
अरे आधो बल शत्रु को आतो,
अस्यो वाने मलगय्यो वरदान,
अरे अस्या बाली ने मार गिरायो,
है ताकत राम जी का तीर में,
उल्टा सुल्टा काम करें रे,
पचे दोष देवे तकदीर ने।।
कहे चेतन ऊँकारा सुनले,
जो भी करनु सोच विचार,
आचा बुरा मारग जग में,
इने सब जाने संसार,
अरे सदा संत कि शरण मे रेनो,
समता वाली सीर में,
उल्टा सुल्टा काम करें रे,
पचे दोष देवे तकदीर ने।।
अरे दाल माइने खांड नाक दे,
लूण नाक दे खीर में,
उल्टा सुल्टा काम करे रे,
पचे दोष देवे तकदीर ने।।
गायक – जगदीश जी वैष्णव।
प्रेषक – किशन धाकड़।
9001361914
			







