सुन राधिका दुलारी,
तेरे द्वार का भिखारी,
तेरे श्याम का पुजारी,
एक पीड़ा है हमारी,
हमें श्याम ना मिला,
हमें श्याम ना मिला,
हमें श्याम ना मिला,
हमें श्याम ना मिला।।
देखें – मेरो मन वृन्दावन में अटक्यो।
हम सोचते थे कान्हा कही,
कुंजन में होगा,
अभी तो मिलन का हमने,
सुख नहीं भोगा,
सुनके प्रेम की परिभाषा,
मन में बंधी थी जो आशा,
आशा हुई रे निराशा,
झूठी दे गया दिलाशा,,
हमें श्याम ना मिला,
हमें श्याम ना मिला।।
देता है कन्हाई जिसे,
प्रेम की दशा,
सब विधि उसकी लेता,
भी है परीक्षा,
कभी निकट बुलाये,
कभी दूरियाँ बढ़ाये,
कभी हंसाये रुलाये,
छलिया हाथ नहीं आये,
हमें श्याम ना मिला,
हमें श्याम ना मिला।।
ओ अपना यहाँ जिसे,
कहे सब कोई,
उसके लिए मैं ही,
दिन रात रोई,
नेह दुनिया से तोड़ा,
नाता सांवरे से जोड़ा,
उसने ऐसा मुख मोड़ा,
मुझे कही का ना छोड़ा,
हमें श्याम ना मिला,
हमें श्याम ना मिला।।
सुन राधिका दुलारी,
तेरे द्वार का भिखारी,
तेरे श्याम का पुजारी,
एक पीड़ा है हमारी,
हमें श्याम ना मिला,
हमें श्याम ना मिला,
हमें श्याम ना मिला,
हमें श्याम ना मिला।।
Singer – Indresh Upadhyay Ji
Lyricist – Ravindra Jain Ji