सच्चा धरम नहीं जाना,
तूने रे भाई,
सच्चा धर्म नही जाना।।
माथे पे चंदन तिलक लगावे,
माला गले में भारी,
गरिबन की तो कदर ना जाने,
क्या बोलेगा बिहारी,
तूने रे भाई,
सच्चा धर्म नही जाना।।
गेहूँ में कंकड पेढे में आटा,
दूध में पानी मिलावे,
मीठी बातें कहकर बेचें,
कसम धरम की खावे,
तूने रे भाई,
सच्चा धर्म नही जाना।।
सरकारी अफसर होकर भी,
सेवा करना नहीं सीखा,
अर्जदारों से खाता है पैसा,
देश का गौरव खोता,
तूने रे भाई,
सच्चा धर्म नही जाना।।
खाली पड़ी जो भूमी यह तेरी,
मजदूरों को नहीं देता,
देश भिखारी बनाया तूने,
देश की इज्जत खोता,
तूने रे भाई,
सच्चा धर्म नही जाना।।
अपनी अपनी नेकी से चलना,
यही तो धर्म सिखाता,
‘तुकड्यादास’ कहे फिर दिन दिन,
क्यों पाप सरपे उठाता,
तूने रे भाई,
सच्चा धर्म नही जाना।।
सच्चा धरम नहीं जाना,
तूने रे भाई,
सच्चा धर्म नही जाना।।
प्रेषक – गौरव पोटोडे।
9112838870