राजस्थानी भजन

रातिजगो मान लिज्यो घरका को पितर भजन

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रातिजगो मान लिज्यो घरका को,
यो पाटा भरा दियो पितरा को।।



नौ महिना माता दुख पायी,

उंधो र झुल्यो गरभ क माही,
यो तो विकट काम छो खतरा को,
पाटो भरा दिया पितरा को।।



पुरा दिन हुया पीड चलाई,

दाई माई न तुरन्त बुलाई,
या तो पिंड छुडा दिया अबला को,
पाटो भरा दिया पितरा को।।



परभातिया थारो जनम हुयायो,

कंचन सोना को थाल बजायो,
दिल खुशी हो गयो घरका को,
पाटो भरा दिया पितरा को।।



बहिन भुआ न थार नुत बुलाया,

सांठ्या बांदरवाल बंधाया,
हुयो मंगलाचार लुगायाँ को,
पाटो भरा दिया पितरा को।।



बडा बडा पंचा न बुलाई,

चुडा मांदल्या को मुर्हत कढाई,
जोशी टको माँग लियो पतडा को,
पाटो भरा दिया पितरा को।।



भक्त मंडल पितरा न मनाव,

आई मावस खीर बनाव,
थे तो घरका सु आंतरो मत राखो,
पाटो भरा दिया पितरा को।।



रातिजगो मान लिज्यो घरका को,

यो पाटा भरा दियो पितरा को।।

प्रेषक – धरम चन्द नामा सांगानेर।
9887223297


Shekhar Mourya

Bhajan Lover / Singer / Writer / Web Designer & Blogger.

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