ॐ जय गुरु बालकनाथ,
बाबा जय श्री बालकनाथ,
आरती उतारे मिलकर,
भाव भक्ति के साथ,
ॐ जय गुरु बालकनाथ।।
महाराष्ट्र की धन्य धरा वो,
जन्म बाबुर्डी गाँव,
गुरूवर जन्म बाबुर्डी गाँव,
कुल गोस्वामी दीपाया,
सिर मात पिता का हाथ,
ॐ जय गुरु बालकनाथ।।
नारायण नाथ जी से दीक्षा लेकर,
त्याग दिया घर बार,
गुरु त्याग दिया संसार,
वन में जाकर करी तपस्या,
घट में भोले नाथ,
ॐ जय गुरु बालकनाथ।।
भगवा वस्त्र को धारण किये,
गले रूद्राक्ष की माल,
गुरू गले रूद्राक्ष की माल,
भाल तिलक चंदन का,
चिमटा कमण्डल हाथ,
ॐ जय गुरु बालकनाथ।।
वस्त्र की नाव से नदी पार की,
गुरुवर करे चमत्कार,
हो गुरूवर करे चमत्कार,
सिंह के पैर से कांटा निकाला,
सुनी बुजर्गो से बात,
ॐ जय गुरु बालकनाथ।।
एक सो अड़तीस साल में,
गुरू गये समाधि में,
गुरु गाँव बाबुर्डी में,
स्वर्ग पधारे देह त्याग कर,
हुआ भक्तो पे वज्रघात,
ॐ जय गुरु बालकनाथ।।
श्री बालक नाथ जी की आरती,
जो जन नित गावे,
“दिलबर” जो जन नित गावे,
कहत है माया महावीर,
गुरु की कृपा पावे,
ॐ जय गुरु बालकनाथ।।
ॐ जय गुरु बालकनाथ,
बाबा जय श्री बालकनाथ,
आरती उतारे मिलकर,
भाव भक्ति के साथ,
ॐ जय गुरु बालकनाथ।।
परम् तपस्वी,
परम् तेजस्वी,
बाबुर्डी गाँव के नंदन,
उपकारी सद गुरुदेव,
बाबा श्री बालक नाथ की जय।
गायक – श्री हर्ष व्यास मुम्बई।
रचनाकार – दिलीप सिंह सिसोदिया ‘दिलबर’
नागदा जक्शन म.प्र.
मो. 9907023365