मूरत प्यारी लागे,
थारी सूरत प्यारी लागे,
मूरत प्यारी लागे या,
कामण गारी लागे,
म्हारा बाबोसा,
थाने देखके दुखड़ा भागे,
म्हारा चूरूवाला हो,
थारी ज्योत दिल मे जागे।।
तर्ज – बोली प्यारी लागे।
थारो गोरों गोरों मुखडो,
ज्यो लागे चाँद रो टुकड़ो,
सूरज रो तेज चमके,
थारे दिव्य ललाट रे आगे,
मुरत प्यारी लागे।।
शिश पे मुकुट विराजे,
थारे हाथ में घोटा साजे,
करे लीले की असवारी,
तू राजकुँवर सो लागे,
मुरत प्यारी लागे।।
थारे तन केशरिया बागों,
थे हनुमत जैसा लागो,
थारो रूप देख बाबोसा,
नैनो रा भाग्य जागे,
मुरत प्यारी लागे।।
थारी सूरत पे बलिहारी,
“दिलबर” जाऊँ मैं वारी,
देखो मंजू बाईसा निरखे,
भगता ने लेकर सागे,
मुरत प्यारी लागे।।
मूरत प्यारी लागे,
थारी सूरत प्यारी लागे,
मूरत प्यारी लागे या,
कामण गारी लागे,
म्हारा बाबोसा,
थाने देखके दुखड़ा भागे,
म्हारा चूरूवाला हो,
थारी ज्योत दिल मे जागे।।
गायिका – सम्यता बेनर्जी मुम्बई।
रचनाकार – दिलीप सिंह सिसोदिया ‘दिलबर’।
नागदा जक्शन म.प्र. 9907023365
प्रेषक – श्री हर्ष व्यास मुम्बई।
( म्यूजिक डायरेक्टर एवम कंपोजर )
मो . 9820947184