मोर बोले रे पपैया बोले रे,
म्हारा सतगुरु आया पावणा,
पपैया बोले रे।
दोहा – संत गुरु दिवो नाम रो,
ने क्या जाने संसार,
घीरद सीचो नो प्रेम रो,
भीरा ऊतरो भवजल पार।
गुरु गोविंद दोऊ खड़े,
काके लागू पाय,
गुरु बलिहारी आपने,
गोविंद दियो मिलाय।
मोर बोले रे पपैया बोले रे,
मारा सतगुरु आया पावणा,
पपैया बोले रे,
मारा धिन गुरु आया पावणा,
पपैया बोले रे।।
ऐसा जोगी जुग मे आया,
भुलीया जीव का भरम मीढाया,
राम नाम का पता लगाया,
हरि नाम का पता लगाया,
ओ ओ भेद सुखमण का खोले रे,
मारा सतगरु आया पावणा,
पपैया बोले रे।।
पांच तत्व की हैं थारी काया,
इन रा कोन रूप दरसाया,
सातभोम से परे बताया,
ज्ञान गाढी में खोले रे,
मारा सतगरु आया पावणा,
पपैया बोले रे।।
पांच कोस पुर्ण सम जाया,
सात भोम से परे बताया,
सब शरीर को खोल बताया,
तार में तार मीलाया,
मारा सतगरु आया पावणा,
पपैया बोले रे।।
गोपीनाथ मीलीया गुरु पुरा,
शंकर नाथ चरण चीत लाया,
आम का देस ऊगम का पाया,
गुरु जुग तारण आया हो,
मारा सतगरु आया पावणा,
पपैया बोले रे।।
मोर बोले रे पपैया बोले रे,
म्हारा सतगुरु आया पावणा,
पपैया बोले रे,
मारा धिन गुरु आया पावणा,
पपैया बोले रे।।
प्रेषक – सुरज जांगीड़
8778503512









Super bahut hi acha
बहुत अच्छा
बहुत शानदार भजन जय हो