म्हारा गुरुदेव थाने,
बार बार वंदना।
दोहा – गुरू की कीजे बंदगी,
कोटी कोटी प्रणाम,
प्रीत न जाने भृंग की,
गुरू करले आप समान।
यो तन विष की बेलड़ी,
गुरू अमृत की खान,
शीश दिया सतगुरू मिले,
तो भी सस्तो जान।
मैं जातो भव सिंध में,
मारा सतगुरू पकड़िया कैश,
डूबत भव जल तारियों,
माने दे सांचों उपदेश।
बार बार वंदना,
हजार बार वंदना,
मारा गुरुदेव थाने,
बार बार वंदना।।
भगता रे आंगन दाता,
आप पधारो,
भगता रा अटकया कारज,
आप सवारो,
ज्ञान रा आधार आप री,
बार बार वंदना,
मारा गुरुदेव थारी,
बार बार वंदना।।
निर्मल जल से,
पांव पखारु,
मारा गुरुदेव थाने,
नैना सु निहारु,
भक्ति रा आधार आप री,
बार बार वंदना,
मारा गुरुदेव थारी,
बार बार वंदना।।
दास अशोक दाता,
थारो जस गावे,
चरणो री चाकरी में,
सब सुख पावे,
मुक्ति रा आधार आप री,
बार बार वंदना,
मारा गुरुदेव थारी,
बार बार वंदना।।
बार बार वंदना,
हजार बार वंदना,
म्हारा गुरुदेव थाने,
बार बार वंदना।।
गायक – श्री रामकुमार जी मालुनि।
प्रेषक – वेद प्रकाश मीणा।
9829928023