मत ना जावो छोड़ मोहन याद घणैरी आवसी लिरिक्स

मत ना जावो छोड़ मोहन याद घणैरी आवसी लिरिक्स
राजस्थानी भजन

मत ना जावो छोड़ मोहन,
याद घणैरी आवसी,
माकै गोकुल गांव कानजी,
पाछा कदी आवसी,
सावरिया रो रूप कानजी,
पाछो दिखलावसी,
मधुबन मै वा टैर माने,
मुरली कि कुण सुणावसी।।



छाने-छाने घणी छिक्या,

तोडी रे चोरडा कान जी,
दहीडा री घणी मटकिया,
फोडी भोल्या कानजी,
दही जम्योडी जावणी ने,
छीका सू उतार तो,
कोई आवे नाय घर मे,
ऊचा-निचा नाल ता,
गूजरिया घर जाय आपा,
छाने-छाने जाव ता।।



खाता हिलमिल बैठ आपा,

खाकर मोज्या माणता,
वो बाता तो घणो याद आवे,
वो भोल्या कान जी,
जद हिवडा मै हलूरा पणी ऊठे,
रूपाला कान जी।।



कालीदेह मे कूद काना जी,

नागराज ने नाथीयो,
ईन्द्र किनो कोप कान जी,
गोर्वधन ने थे धारियो,
ऐक समय के माय माता,
मूसल के थनै बान्दियो,
मूसल दियो उखैङ मोहन,
यमूला अर्जुन तारियो।।



गोकुल का काकङ मे घणी,

बंशीया बजाई कान जी,
जमुना किनारे सखिया संग,
राच रचायो रसिला कान जी,
पनघट उपर जाय,
गल गोरिया सू घाघर फोडता,
नाती जल के माय गूजरिया,
चिर वाको चूरावता,
लेता मही को डाव आपा,
हिलमिल करके खावता।।



वृंदावन के माय आपा तो,

गऊडिया ने चरावता,
नन्द बाबारी गाया घणी,
चराई ग्वालिया कान जी,
टोगङ छालर मोगर ने,
घणी लडाई कान जी रे,
मथुरा माई जाय मोहन,
भूल मती ना जावज्ये,
बालपणारी प्रित काना जी,
हिवडै याद राखज्ये,
माके गोकुल गाव काना,
फेर कदी तू आवज्ये,
हरभूमि को भार “भेरिया”,
भग्ता ने समालज्ये।।



मत ना जावो छोड़ मोहन,

याद घणैरी आवसी,
माकै गोकुल गांव कानजी,
पाछा कदी आवसी,
सावरिया रो रूप कानजी,
पाछो दिखलावसी,
मधुबन मै वा टैर माने,
मुरली कि कुण सुणावसी।।

गायक – भेरुपुरी गोस्वामी।
सोपुस 9928006102


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