जय जय जनक सुनन्दिनी हरि वन्दिनी हे आरती लिरिक्स

जय जय जनक सुनन्दिनी हरि वन्दिनी हे आरती लिरिक्स
आरती संग्रह

जय जय जनक सुनन्दिनी, हरि वन्दिनी हे,
दुष्ट निकंदिनि मात, जय जय विष्णु प्रिये।।



सकल मनोरथ दायनी, जग सोहिनी हे,

पशुपति मोहिनी मात, जय जय विष्णु प्रिये।।



विकट निशाचर कुंथिनी, दधिमंथिनी हे,

त्रिभुवन ग्रंथिनी मात, जय जय विष्णु प्रिये।।



दिवानाथ सम भासिनी, मुख हासिनि हे,

मरुधर वासिनी मात, जय जय विष्णु प्रिये।।



जगदंबे जय कारिणी, खल हारिणी हे,

मृगरिपुचारिनी मात, जय जय विष्णु प्रिये।।



पिपलाद मुनि पालिनी, वपु शालिनी हे,

खल खलदायनी मात जय जय विष्णु प्रिये।।



तेज – विजित सोदामिनी, हरि भामिनी हे,

अहि गज ग्रामिनी मात, जय जय विष्णु प्रिये।।



घरणीधर सुसहायिनी, श्रुति गायिनी हे,

वांछित दायिनी मात जय जय विष्णु प्रिये।।



जय जय जनक सुनन्दिनी, हरि वन्दिनी हे,
दुष्ट निकंदिनि मात, जय जय विष्णु प्रिये।।

Upload By – Himalay Joriwal


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