हंसा अधर से आया पंछियों रे पिंजरे समाया लिरिक्स

हंसा अधर से आया पंछियों रे पिंजरे समाया लिरिक्स

अधर स्वरूपी हँसला आया,
चोंच पांख नही लाया,
बिना चोंच वो चुगो चुगत है,
चुग चुग मोती खाया,
हंसा अधर से आया,
पंछियों रे पिंजरे समाया,
वो तो धड़ शीश,
पाव नहीं लाया।।



अधर स्वरुपी एक तरवर उभो,

डाल मूल नही छाया,
पानो फूलों बीच मेवा पाका,
ओय रस विरले पाया,
हँसा अधर से आया,
पंछियों रे पिंजरे समाया,
वो तो धड़ शीश,
पाव नहीं लाया।।



अधर स्वरूपी एक सरवर भरियो,

वहा जाय हंसला नहाया,
सुख सागर की सीर में,
सदा आनंद सुख पाया,
हँसा अधर से आया,
पंछियों रे पिंजरे समाया,
वो तो धड़ शीश,
पाव नहीं लाया।।



गगन मंडल में सुरत हलाई,

निर्भय देश बहे आया,
निर्भय देश का देव निरंजन,
नित उठ दर्शन पाया,
हँसा अधर से आया,
पंछियों रे पिंजरे समाया,
वो तो धड़ शीश,
पाव नहीं लाया।।



जल की बूंद रली सायर में,

सायर लहर समाया,
कहे मुरारी सुनो संत रॉयल,
सतगुरु अलख लिखाया,
हँसा अधर से आया,
पंछियों रे पिंजरे समाया,
वो तो धड़ शीश,
पाव नहीं लाया।।



अधर स्वरूपी हँसला आया,

चोंच पांख नही लाया,
बिना चोंच वो चुगो चुगत है,
चुग चुग मोती खाया,
हंसा अधर से आया,
पंछियों रे पिंजरे समाया,
वो तो धड़ शीश,
पाव नहीं लाया।।

Singer – Vikram Barmeri
8302031687


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