गाड़ी रे म्हारी सीधी रूणिचा जाई,
जामे बैठ चलो मेरा भाई।
दोहा – मास भादवा मायने,
जठे आवे भीड़ पड़े अपार,
रूणिचा रा श्याम ने,
धोके नर और नार।
गाड़ी रे म्हारी सीधी रूणिचा जाई,
जामे बैठ चलो मेरा भाई,
ना में माँगू भाड़ो किरायों,
नाही मजदूरी मेरा भाई,
इन गाड़ी में वो नर जावे,
जाने बाबो बुलाई,
गाड़ी रे मारी सीधी रूणिचा जाई,
जामे बैठ चलो मेरा भाई।।
इन गाड़ी में ना ही बेलियाँ,
नाही घोड़ा मेरा भाई,
धर्मी नर गोता नही खावे,
पापी पहुंचे नाही,
गाड़ी रे मारी सीधी रूणिचा जाई,
जामे बैठ चलो मेरा भाई।।
इन गाड़ी में भूख लगे ना,
नाही प्यास मेरा भाई,
तन की सुध बुध सब भुलावे,
फिकर ना ही रे मेरा भाई,
गाड़ी रे मारी सीधी रूणिचा जाई,
जामे बैठ चलो मेरा भाई।।
इन गाड़ी में लाछा सुगना,
बैठी डाला बाई,
हरजी भाटी चवर डुलावे,
ज्यारा नाम हुया जग माही,
गाड़ी रे मारी सीधी रूणिचा जाई,
जामे बैठ चलो मेरा भाई।।
सांची बात बताई ओ ‘पारासर’,
‘नरेंद्र’ मेरा भाई,
गलती हो तो माफी दीज्यो,
गावे ‘नरेश’ भाई,
गाड़ी रे मारी सीधी रूणिचा जाई,
जामे बैठ चलो मेरा भाई।।
गाड़ी रे मारी सीधी रूणिचा जाई,
जामे बैठ चलो मेरा भाई,
ना में माँगू भाड़ो किरायों,
नाही मजदूरी मेरा भाई,
इन गाड़ी में वो नर जावे,
जाने बाबो बुलाई,
गाड़ी रे मारी सीधी रूणिचा जाई,
जामे बैठ चलो मेरा भाई।।
स्वर – नरेश प्रजापत जी।
प्रेषक – कपिल टेलर 9509597293