रुणिचा में रामदेव जी रो,
खूब सज्यो दरबार,
दुखियारा दुखड़ा मेटे,
बाबो नीले रो असवार।।
पैदलियां में नैना मोटा,
आवे है नर नार,
नाचे कूदे सगला बोले,
थारी जय जयकार,
आण पड़यो थारे द्वार,
मारी सुण जो थे पुकार,
दुखियारा दुखड़ा मेटै,
बाबो नीले रो असवार।।
भादवा में मेलो भरीजै,
भीड़ घणी थारे द्वार,
सच्चे मन सूं आवै वीरा,
होजै बेड़ा पार,
घणी दूर सूं चालयो थारे,
पैदल आवै द्वार,
कलयुग रा थे हो अवतारी,
लीला अपरंपार,
दुखियारा दुखड़ा मेटै,
बाबो नीले रो असवार।।
कूं कूं रा थे पगला मांड्या,
रुणिचा में आण,
भैरुंड़ा ने मार मुकायो,
विष्णु रा अवतार,
हंसराज और अमन सोलंकी,
आवे थारे द्वार,
विक्की और अरमान स्टूडियो,
सागै अबकी बार,
नंदू सोलंकी आयो,
अबकी कर दो बेड़ा पार,
दुखियारा दुखड़ा मेटै,
बाबो नीले रो असवार।।
रुणिचा में रामदेव जी रो,
खूब सज्यो दरबार,
दुखियारा दुखड़ा मेटे,
बाबो नीले रो असवार।।
गायक / प्रेषक – नन्दू सोलंकी।
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