दर पर तुम्हारे आया ठुकराओ या उठा लो लिरिक्स

दर पर तुम्हारे आया ठुकराओ या उठा लो लिरिक्स

दर पर तुम्हारे आया,
ठुकराओ या उठा लो,
करुणा के सिंधु मालिक,
अपनी विरद बचा लो,
दर पर तुम्हारें आया,
ठुकराओ या उठा लो।।



मीरा या शबरी जैसा,

पाया हृदय ना मैंने,
जो है दिया तुम्हारा,
लो अब इसे सम्भालो,
दर पर तुम्हारें आया,
ठुकराओ या उठा लो।।



दिन रात अपना अपना,

करके बहुत फसाया,
कोई हुआ ना अपना,
अब अपना मुझे बना लो,
दर पर तुम्हारें आया,
ठुकराओ या उठा लो।।



दोषी हूँ मैं या सारा,

ये खेल है तुम्हारा,
जो हो समर्थ हो तुम,
चाहे गजब झूठालो,
दर पर तुम्हारें आया,
ठुकराओ या उठा लो।।



बस याद अपनी दे दो,

सब कुछ भले ही लेलो,
विषमय ‘करील’ पर अब,
करुणा की दृष्टि डालो,
दर पर तुम्हारें आया,
ठुकराओ या उठा लो।।



दर पर तुम्हारे आया,

ठुकराओ या उठा लो,
करुणा के सिंधु मालिक,
अपनी विरद बचा लो,
दर पर तुम्हारें आया,
ठुकराओ या उठा लो।।

स्वर – पूज्य राजन जी महाराज।
प्रेषक – दीपक शर्मा।
9460131108


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