वीर भद्रगण साथ में रे भाया,
धूम मची कैलाश में,
चढ़ असवारी देव पधारे,
शिवजी की बारात में।।
राजा हिमाचल के आंगनिये,
कोई ब्याव रचायो भारी जी,
कोई कोई ब्याव रचायो भारी,
पार्वती के वर जोडी का,
शिव भोला भंडारी जी,
कोई शिव भोला भंडारी,
मंगल गीत के साथ मे रे भई,
बंध्या डोरडा हाथ मे,
चढ असवारी देव पधारें,
शिवजी की बारात में।।
शेष सुरेश दिनेश पधारे,
ब्रह्म लोक से ब्रह्मा जी,
कोई ब्रह्म लोक से ब्रह्मा,
भूतेश्वर के भूत प्रेत कर,
नाचे छमा छमा जी,
कोई नाचे छमा छमा,
थाल मृदंगा हाथ मे रे भई,
थाली मांदल साथ मे,
चढ असवारी देव पधारें,
शिवजी की बारात में।।
अस्सी साल को बालक बनडो,
चढ़ नांदे असवारी जी,
कोई चढ़ नांदे असवारी जी,
अरे अंग भभूति जटा चन्द्रमा,
शेष नाग फण कारी जी,
कोइ शेष नाग फण कारी,
तांडव नृत्य के साथ मे रे भई,
थाली मांदल साथ मे,
चढ असवारी देव पधारें,
शिवजी की बारात में।।
ढोल बजावत गन्दरव बागो,
नही खाती नही ब्रह्मण जी,
कोई नही खाती नही ब्रह्मण,
करत आरती सासु डरगी,
सखिया भूली कामण जी,
कोई सखिया भूली कामण,
नो नाथन के नाथ ने रे भई,
लियो हाथ फिर हाथ मे,
बरसे फूल गगन से देखो,
शिवजी की बारात में,
चढ असवारी देव पधारें,
शिवजी की बारात में।।
वीर भद्रगण साथ में रे भाया,
धूम मची कैलाश में,
चढ़ असवारी देव पधारे,
शिवजी की बारात में।।
गायक – जगदीश जी वैष्णव।
प्रेषक – किशन धाकड़।
9001361914
			







