बिना बाप को बेटो बिगड़े बिना मात की छोरी लिरिक्स

बिना बाप को बेटो बिगड़े बिना मात की छोरी लिरिक्स
राजस्थानी भजन

बिना बाप को बेटो बिगड़े,
बिना मात की छोरी,
बिना हाली की खेती बिगड़े,
बिना बालम के गोरी-गोरी।।



कितना सुंदर होय गवैया,

कंठ बिना वो राग नहीं,
छत्तीस मसाले कूट के डालो,
नमक बिना वह स्वाद नहीं,
बिना हाली की खेती बिगड़े,
बिना बालम के गोरी-गोरी।।



वो साधु साधु नहीं होता,

जिसके मन में प्यास नहीं,
जो धन कन्या का खाए,
तो धोवे उतरे दाग नहीं,
बिना हाली की खेती बिगड़े,
बिना बालम के गोरी-गोरी।।



उस तिरया का आदर नहीं,

जिसका पति जुआरी हो,
बुड्ढा मानस मेट सके ना,
इसके नहीं कमाई हों,
बिना हाली की खेती बिगड़े,
बिना बालम के गोरी-गोरी।।



आपने बिगड़े देश धर्म की रक्षा,

ना करता वह क्षत्रिय राजपुत नहीं,
धर्म हैतु धन ना खर्चे तो बनिया,
वो साहूकार नही,
बिना हाली की खेती बिगड़े,
बिना बालम के गोरी-गोरी।।



कारीगर की बिगड़े चुनाई,

जिसके पास सुत नहीं,
वह घर ढसने लगेगा,
भारी निम मजबूत नहीं,
बिना हाली की खेती बिगड़े,
बिना बालम के गोरी-गोरी।।



गुण्डा मानस सुधरे नहीं,

जब तक लगे झूत नहीं,
सत गुरु के आदेश बिना,
भाग भ्रम का भूत नहीं,
बिना हाली की खेती बिगड़े,
बिना बालम के गोरी-गोरी।।



बिना बाप को बेटो बिगड़े,

बिना मात की छोरी,
बिना हाली की खेती बिगड़े,
बिना बालम के गोरी-गोरी।।

Singer – Manoj Pareek
Upload By – Laxman Jangid
9664063815


Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: कृपया प्ले स्टोर से भजन डायरी एप्प इंस्टाल करे