भजन कम शोर है ज्यादा कुछ तो रखो मर्यादा लिरिक्स

भजन कम शोर है ज्यादा कुछ तो रखो मर्यादा लिरिक्स
धीरज कांत भजनविविध भजन

भजन कम शोर है ज्यादा,
कुछ तो रखो मर्यादा,
जो भी गाना है गाओ सुर में,
स्वर ईश्वर में ना भेद कोई है,
सामवेद जैसा नहीं वेद कोई है,
अच्छा नहीं कर सको तो बुरा ना करो,
गीत संगीत को बेसुरा ना करो,
भजन कम शोर हैं ज्यादा,
कुछ तो रखो मर्यादा,
जो भी गाना है गाओ सुर में।।

तर्ज – अरे रे मेरी जान है राधा।



दिल नहीं हिले तो संगीत नहीं है,

मन को जो छुए नहीं गीत नहीं है,
पहले अंग्रेज आके मैला किया है,
पहले अंग्रेज आके मैला किया है,
बचा कुचा जो था उसे छैला किया है,
भजन कम शोर हैं ज्यादा,
कुछ तो रखो मर्यादा,
जो भी गाना है गाओ सुर में।।



स्वर नहीं साधे है तो रुदन ना करो,

गीत संगीत से प्रदुषण ना करो,
नाम चाहिए तो अच्छा नाम करो रे,
नाम चाहिए तो अच्छा नाम करो रे,
बच्चे कुछ सीखे ऐसा काम करो रे,
भजन कम शोर हैं ज्यादा,
कुछ तो रखो मर्यादा,
जो भी गाना है गाओ सुर में।।



गाली देके नाम किया नाम कोई है,

करता है कोई बदनाम कोई है,
सीडी देख के आज विष घोल रहा है,
सीडी देख के आज विष घोल रहा है,
बच्चा बच्चा ढीला जींस खोल रहा है,
भजन कम शोर हैं ज्यादा,
कुछ तो रखो मर्यादा,
जो भी गाना है गाओ सुर में।।



बच्चा है अभी इसे ज्ञान नहीं है,

क्या है संगीत पहचान नहीं है,
गाली देके लाखो में खेल रहा है,
गाली देके लाखो में खेल रहा है,
बच्चे को बुराई में ढकेल रहा है,
भजन कम शोर हैं ज्यादा,
कुछ तो रखो मर्यादा,
जो भी गाना है गाओ सुर में।।



भजन कम शोर है ज्यादा,

कुछ तो रखो मर्यादा,
जो भी गाना है गाओ सुर में,
स्वर ईश्वर में ना भेद कोई है,
सामवेद जैसा नहीं वेद कोई है,
अच्छा नहीं कर सको तो बुरा ना करो,
गीत संगीत को बेसुरा ना करो,
भजन कम शोर हैं ज्यादा,
कुछ तो रखो मर्यादा,
जो भी गाना है गाओ सुर में।।

स्वर – धीरज कान्त जी।


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