आंके हिरदे में विराजे सियाराम,
प्यारो लागे रामजी रो नाम,
आंके हृदय में विराजे सियाराम,
प्यारो लागे रामजी रो नाम।।
तर्ज़ – नीली साटन को सिला दे।
लाल लंगोटो हाथ म घोटो,
मुख म नागर पान,
पांव म घुंघुरू बांध के नाचे,
पवन पुत्र हनुमान,
थारो सालासर म बन्यो बाबा धाम,
प्यारो लागे रामजी रो नाम।।
शिवशंकर अवतार है बाबो,
पवन पुत्र बलकारी,
बल बुद्धि विद्या का दाता,
बालजति ब्रह्मचारी,
आंके रोम रोम म बस रहयों राम,
प्यारो लागे रामजी रो नाम।।
रामसिया की युगल छवि,
थारे हिवडे माही सजाई,
सिया राम का काज बनाया,
और लंका न ढाई,
सारा संकट हरो जी हनुमान,
प्यारो लागे रामजी रो नाम।।
नाथ गुलाब की विनती बाबा,
रामनाम गुण गांवा,
“विनय” सुनो अरदास थे म्हारी,
म्हे भी राम रिझावा,
म्हापे महर करो जी हनुमान,
प्यारो लागे रामजी रो नाम।।
आंके हिरदे में विराजे सियाराम,
प्यारो लागे रामजी रो नाम,
आंके हृदय में विराजे सियाराम,
प्यारो लागे रामजी रो नाम।।
गायक – संत श्री गुलाब नाथ जी महाराज।
लेखक – विनय तमोली लक्ष्मणगढ़।
मोबाइल – 9785064838