मन रे ऐसो नित भगाड़ो,
आप की तो रक्षा माने,
दूजा के देवे जाड़ो,
मन रे ऐसो नित भगाड़ो।।
जात पात का भेद नी राखे,
चाले हाव उजाड़ो हा,
मामी मासी बेन भान्जे,
सब की एक सराड़ो,
मन रे ऐसो नित भगाडो।।
पर तरिया का रूप सरूपी,
वा संग मांडे राडो,
पर तरिया रूप सरूपी,
वा संग प्रेम लगाडो,
मन रे ऐसो नित भगाडो।।
कामी ने तो काम प्यारो,
थारे एक अखादों,
आठ पैर नारकी ने भोगे,
होई वीसे चलाडो,
मन रे ऐसो नित भगाडो।।
पदम गुरु परवानी जी मलिया,
खोलियो भरम किंवादों,
गुर्जर गरीबी बाजी कनीराम जी,
बोले मन ने पकड़ पछाडो,
मन रे ऐसो नित भगाडो।।
आप की तो रक्षा माने,
दूजा के देवे जाड़ो,
मन रे ऐसो नित भगाड़ो।।
गायक – प्रेम जी गुर्जर।
9909709728