म्हारी नैया सांवरिया,
अब थारा ही हवाले,
साँवरियां थारा नाम से,
मारी रोजी रोटी चाले।।
मंडपीया माई सावरियां को,
मन्दिर गणों रूपालो,
सोना की पोशाक सेठ के,
लागे छैल छोगालो,
मंडपिया वाला श्याम धणी को,
सिक्को जग में चाले।।
मन में धारिया काम सेठ जी,
पल में पार लगावे,
रूज़क रोटी धंधा पाणी,
सिस्टम सेट करावे,
अटकियोडी नैया ने मारो,
सावरियों समाले।।
चवदश को तो जागण जागे,
मावस मेलो लागे,
थारी सेवा माय गांव का,
रेवे हरदम आगे,
भोला भोला भगता के,
सवारियों सामे नाले।।
जब जब भीड़ पड़ी भगता पे,
सेठ सावरों आयो,
मीरा कर्मा नरसी जी के,
आके फर्ज निभायो,
शानू रेगर की या गाड़ी,
थारा भरोसे चाले।।
म्हारी नैया सांवरिया,
अब थारा ही हवाले,
साँवरियां थारा नाम से,
मारी रोजी रोटी चाले।।
गायक / लेखक – शानू रैगर सांवता।
मो. 9610489087