सुण मारा मनवा सांची कड़ियां,
गुरु ज्ञान कई गेले पडिया।।
गुरु ज्ञान की संकरी सेरिया,
वॉ सेरिया में कोईक बडिया,
गुरु ज्ञान कई गेले पडिया।।
हजारा में हरो मती भाई,
लाख में कहीं दौड़ चढ़िया,
गुरु ज्ञान कई गेले पडिया।।
खाबो छावे लड्डू और पेड़ा,
रद के आडा ताला जुड़िया,
गुरु ज्ञान कई गेले पडिया।।
पच पच मरिया मनक मोकला,
धरती पे कई जनम धरियां,
गुरु ज्ञान कई गेले पडिया।।
आठ फेर समदा रेवे,
प्यासा कई मगरमंच पडिया,
गुरु ज्ञान कई गेले पडिया।।
नहीं तोप तलवारा बाजी,
आणि धार कोई सुरा लडिया,
गुरु ज्ञान कई गेले पडिया।।
फेरिया तू तो निर्भय साधु,
खर धर खैरा खम्भ खड़िया,
गुरु ज्ञान कई गेले पडिया।।
सुण मारा मनवा सांची कड़ियां,
गुरु ज्ञान कई गेले पडिया।।
गायक – चम्पा लाल प्रजापति।
मालासेरी डूंगरी – 8947915979