ये कीर्तन श्याम तुम्हारा हो,
ये कीर्तन श्याम तुम्हारा हों,
एक बार तो मेरे घर पर भी,
ये कीर्तन श्याम तुम्हारा हो।।
कोना कोना मेरे घर का,
तेरे भक्तो से बाबा भर जाये,
घर गूंजे उठे मेरा ताली से,
जब कीर्तन श्याम तुम्हारा हो,
एक बार तो मेरे घर पर भी,
ये कीर्तन श्याम तुम्हारा हो।।
तेरे भजनो से जब बाबा,
तेरे प्रेमी तुझे रिझायेगे,
उसको हम गले लगा लेंगे,
जो प्रेमी श्याम तुम्हारा हो,
एक बार तो मेरे घर पर भी,
ये कीर्तन श्याम तुम्हारा हो।।
जो देना हो तो श्याम मुझे,
तो देना मेरी मर्जी से,
हर शहर में खाटू के जैसा,
एक मंदिर श्याम तुम्हारा हो,
एक बार तो मेरे घर पर भी,
ये कीर्तन श्याम तुम्हारा हो।।
मर्जी तो चलेगी श्याम तेरी,
ये श्याम मंडल की अर्जी है,
‘विष्णु’ बस इतनी तमन्ना है,
हर जुबां पे नाम तुम्हारा हो,
एक बार तो मेरे घर पर भी,
ये कीर्तन श्याम तुम्हारा हो।।
ये कीर्तन श्याम तुम्हारा हो,
ये कीर्तन श्याम तुम्हारा हों,
एक बार तो मेरे घर पर भी,
ये कीर्तन श्याम तुम्हारा हो।।
स्वर – शास्त्री अरुण शर्मा।
लेखक – विष्णु शर्मा राजगढ़िया।
9382 890184








