छबीलो मेरो कान्हा ब्याहन जाए भजन लिरिक्स

छबीलो मेरो कान्हा ब्याहन जाए भजन लिरिक्स
कृष्ण भजनविनोद अग्रवाल भजन

छबीलो मेरो कान्हा ब्याहन जाए,
ब्याहन जाए वो तो ब्याहन जाए,
रंगीलो मेरो कान्हा ब्याहन जाए,
छबीलो मेरो कान्हा ब्याहन जाए।।



मेरे कान्हा के सर मुकुट बिराजे,

चितवन चित्त चुराए,
छबीलो मेरो ब्याहन जाए।।



मेरे कान्हा के गल मोतियन माला,

वो तो चूमत चरणन जाए,
छबीलो मेरो ब्याहन जाए।।



मेरो कान्हा मानो कमल मधुमय,

मधुकर रहे मंडराए,
छबीलो मेरो ब्याहन जाए।।



मेरे कान्हा के होंठ पान की लाली,

बोलत फूल झराए,
छबीलो मेरो ब्याहन जाए।।



मेरो कान्हा छवि रूप पिटारी,

वो तो कोटिन काम लजाये,
छबीलो मेरो ब्याहन जाए।।



मेरे कान्हा के मन लगी चटपटी,

वो तो राधा जू को मन ललचाये,
छबीलो मेरो ब्याहन जाए।।



छबीलो मेरो कान्हा ब्याहन जाए,

ब्याहन जाए वो तो ब्याहन जाए,
रंगीलो मेरो कान्हा ब्याहन जाए,
छबीलो मेरो कान्हा ब्याहन जाए।।

स्वर – श्री विनोद जी अग्रवाल।
प्रेषक – प्रशांत गुप्ता।


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