घी दुधा री नदियाँ बहती,
पावन भारत देश जठे,
वा रे जमाना वा रे कलयुग,
वे बाता है आज कठे।।
सत राखण ने राजा हरीशचन्द्र,
हरीजन के घर निर भरे,
तारा छोडी रोहित छोड्या,
पर सत ने नहीं छोड सक्या,
जुठ बोलले गंगा तोकले,
जुठा फेसला आज अठे,
वारे ज़माना वारे कलजुग,
वे बाता है आज कठे।।
बेण बेटी भी लाज शरम में,
लांबो गुंगट काडती,
सास ससुर रो काण कायदो,
पग बारे नहीं काडती,
खुल्ला केस आगे आ जावे,
आख्या खाडे डाकण ज्यु,
वारे ज़माना वारे कलजुग,
वे बाता है आज कठे।।
मात पिता की आज्ञा माने,
चवदा बरस वन राम रहे,
सतवंती सीता के संग में,
धुप में कोमल पाव जले,
माँ बापा ने घर सु निकाले,
घक्का देकर आज अठे,
वारे ज़माना वारे कलजुग,
वे बाता है आज कठे।।
घी दुधा री नदियाँ बहती,
पावन भारत देश जठे,
वा रे जमाना वा रे कलयुग,
वे बाता है आज कठे।।
गायक – देव शर्मा आमा।
8290376657