वन वन भटके राम अपनी सिया को प्राण पिया को पग पग ढूंढे राम

वन वन भटके राम,
   वन वन भटके राम।।

चौपाई – आश्रम देखि जानकी हीना।
भए बिकल जस प्राकृत दीना।।



विरह व्यथा से,

व्यतीत द्रवित हो,
बन बन भटके राम,
बन बन भटके राम,
अपनी सिया को,
प्राण पिया को,
पग पग ढूंढे राम,
विरह व्यथा से,
व्यतीत द्रवित हो,
बन बन भटके राम,
बन बन भटके राम।।



कुंजन माहि ना सरिता तीरे,

विरह बिकल रघुवीर अधिरे,
हे खग मृग हे मधुकर शैनी,
तुम देखी सीता मृगनयनी,
वृक्ष लता से जा से ता से,
पूछत डोले राम,
बन बन भटके राम,
अपनी सिया को,
प्राण पिया को,
पग पग ढूंढे राम,
विरह व्यथा से,
व्यतीत द्रवित हो,
बन बन भटके राम,
बन बन भटके राम।।



फागुन खानी जानकी सीता,

रूप शील व्रत नाम पुनिता,
प्राणाधिका घनिष्ट सनेही,
कबहु ना दूर भई वैदेही,
श्री हरी जु श्री हिन सिया बिन,
ऐसे लागे राम,
बन बन भटके राम,
अपनी सिया को,
प्राण पिया को,
पग पग ढूंढे राम,
विरह व्यथा से,
व्यतीत द्रवित हो,
बन बन भटके राम,
बन बन भटके राम।।



विरह व्यथा से,

व्यतीत द्रवित हो,
बन बन भटके राम,
बन बन भटके राम,
अपनी सिया को,
प्राण पिया को,
पग पग ढूंढे राम,
विरह व्यथा से,
व्यतीत द्रवित हो,
वन वन भटके राम,
बन बन भटके राम।।


पिछला लेखवन वन डोले लक्ष्मण बोले मेरे भ्राता करो विचार लिरिक्स
अगला लेखपा के सुंदर बदन कर प्रभु का भजन लिरिक्स
Bhajan Lover / Singer / Writer / Web Designer & Blogger.

4 टिप्पणी

आपको ये भजन (पोस्ट) कैसा लगा?

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें