तू है सो मैं ही हूँ मैं हूँ सो तू ही है भजन लिरिक्स

तू है सो मैं ही हूँ मैं हूँ सो तू ही है भजन लिरिक्स
राजस्थानी भजन

तू है सो मैं ही हूँ,
मैं हूँ सो तू ही हैं,
भगवान तुझ में मुझ में,
अन्तर जरा नहीं है।।



अगरचे मैं आशिक हूँ,

माशूक मेरा तू ही है,
जब दिल मिला है तुझ से,
दुई कहाँ रही है,
तू हैं सो मैं ही हूँ,
मैं हूँ सो तू ही है।।



चेहरे से नकाब हटाया,

नजरों से नजर मिली है,
इकता हुआ नजारा,
अविद्या शर्म भगी है,
तू हैं सो मैं ही हूँ,
मैं हूँ सो तू ही है।।



अगरचे तू सूरज है,

किरण भी भिन्न नहीं है,
स्वयं प्रकाश है सारी,
रवि से मिली जुली है,
तू हैं सो मैं ही हूँ,
मैं हूँ सो तू ही है।।



अगरचे तू दरिया है,

कतरा भी जुदा नहीं है,
‘अचलराम’ लहर वो ब्रह्म की,
ब्रह्म में समा रही है,
तू हैं सो मैं ही हूँ,
मैं हूँ सो तू ही है।।



तू है सो मैं ही हूँ,

मैं हूँ सो तू ही हैं,
भगवान तुझ में मुझ में,
अन्तर जरा नहीं है।।

गायक – राधेश्याम शर्मा।
रचना – स्वामी अचलराम जी महाराज।
प्रेषक – सांवरिया निवाई।
मो. – 7014827014


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